तुम्हरा देरादून मा - Garhwali Kavita by Jagdamba Chamola

Garhwali Kavita by Jagdamba Chamola

तुम्हरा देरादून मा

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द्वी दिन त मैं भी घूम्युं
तुम्हरा देरादून मा
पर, तुम त मैन कखि नि द्येख्यां
तुम्हरा देरादून मा

तुम्हारी ढूंढ खोज तुम्हारा
पढो़सी तक पूछ्यां मैन
पर, तुम्हारु नौं तक नि जांणि तौंन
तुम्हारा देरादून मा


न जांण न पछांण, न क्वे
द्यबता न धियांण
मैंन कणमण्यां रसांण द्येखि
तुम्हारा देरादून मा

जख खालि खव्वा, खालि स्यवा
ब्यखुनि ह्वे त दारु प्यवा
या भौत बढ़िया धांण द्येखि
तुम्हारा देरादून मा

तबै छिन लग्यां सभि
उंद चला, उंद चला
या पैलि दौं पछांण द्येखि
तुम्हारा देरादून मा

अपडा़ दगड़ि हीत प्रीत
बंद करीं संग्ति बटिन
कुत्तु मूं दसांण द्येखि
तुम्हारा देरादून मा


रचनाकार: जगदम्बा चमोला

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