बन्द हुई च जिंदगी - Garhwali Kavita by Pradeep Singh Rawat 'Khuded'

❝बन्द हुई च जिंदगी❞

 Garhwali Kavita by Pradeep Singh Rawat 'Khuded'
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कोरोने डौरो घौरूं मा बन्द हुई च जिंदगी
अलंकार बिंब बिना , नीरस छंद हुई च जिंदगी
जू बिचरों मा रुप्या अन्न पाणी खूब छन
बावन व्यंजन बणेकि बड़ी पसंद हुई च जिंदगी
गरीब मजदूर कै-कै मील पैदल चलणा छन,
भूखा तीसा मनख्यूँ कू भरि द्वन्द हुई च जिंदगी
नौकरी चाकरी सब छूटणी छन प्रदेश मा अब
ई एम आई भोरी भोरी खंड-बंड हुई च जिंदगी
गौं का लोग प्रवास्यूँ देखी मुख फ़रकणा छन
अब त गौं सीमों पर बि पबंद हुई च जिंदगी
डॉ. बोना छन दाना सरिलो कु ख्याल रख्यं
दाना मनख्यूँ कू तै बड़ी असन्द हुई च जिंदगी
आस विस्वास रख फेर खुशी झौळ लगले त्वेमा
त्यारा हौसला छोडणन रंग तंग हुई च जिंदगी 

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