Layun Chhai Bhaag Chhanti Ki (LYRICS)
with Hindi Meaning
लायुं छो भाग छांटी की देयुं छो वेकु अन्जोल्युन न
सलाह बिराणी सगोर अप्डू नि खे जाणी क्या कन तब
लायुं छो भाग छांटी की...
लाया था भाग्य चुनकर, दिया था उसने (भगवान ने)अंजली से
सलाह परायी, ढंग अपना, नहीं खा पाए तो क्या करे फिर
लाया था भाग्य चुनकर, दिया था उसने (भगवान ने)अंजली से
(बिराणी=परायी, सगोर=ढंग, अप्डू=अपना, अन्ज्वाल=अंजली का मतलब होता है दोनों हाथों को एकसाथ करना)
मनु औणा न सेंत्या गोर पल्या कुकुर घूराणा छिन
की जोंका बाना बिसरू हेसणु वी अपडा रुवाणा छिन
निसाब अप्डू अफ़ी जब कुई नि के जाणी क्या कन तब
लायुं छो भाग छांटी की...
मारने आ रहे पाले हुए लोग पाले हुए कुत्ते घुरा (आक्रामक होना) रहे हैं
जिनके बहाने भूल गया हँसना वही अपने रुला रहे हैं
न्याय अपना खुद ही जब कोई नहीं कर पाया तो क्या करे फिर
(सेंत्या पाल्या = पाले पोसे, घुराणा=आक्रामक होना, निसाब=न्याय, अफी=अपनेआप)
जू लीगी पेंछ्युं ह्युन्दू घाम रूडी आई लोटाणु
की चोरी चेन ज्वानिम जेन बुढ़ेंदा राई सौं खाणु
निसाब अप्डू अफ़ी जब क्वी नि के जानी क्या कन तब
लायुं छो भाग छांटी की...
जो ले गया उधार सर्दियों की धुप वो गर्मियों में आया लौटाने
कि जवानी में जिसने चैन चुराया वो बुढ़ापे में सौगंध खाता रहा
न्याय अपना खुद ही जब कोई नहीं कर पाया तो क्या करे फिर
(पेंछ्यु=उधार, ह्युंद=शरद ऋतू, घाम, धूप, रूडी=ग्रीष्म ऋतू, सौं=कसम)
ह्वो जे वृद्धि वूं बेरियुं की जू पीठी मा घौ लगे गेनी
रया राजी वो दगडया भी जू मौल्या घौ दुखे गेनी
निसाब अप्डू अफ़ी जब कुई नि के जानी क्या कन तब
लायुं छो भाग छांटी की...
हो जाये जय वृद्धि उन दुश्मनों की जो पीठ में घाव लगा गये
रहे राजी वो दोस्त भी जो ठीक हुए घाव दुखा गये
न्याय अपना खुद ही जब कोई नहीं कर पाया तो क्या करे फिर
(घौ=घाव, दगड़ीया=दोस्त, मौल्या=ठीक हुए)
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