Byali Ek Chandi Ko Taar Lyrics || Narendra Singh Negi, Meena Rana


Byali Ek Chandi Ko Taar Lyrics  Narendra Singh Negi, Meena Rana



Byali Ek Chandi Ko Taar Lyrics || Garhwali Song Lyrics || Narendra Singh Negi, Meena Rana

ब्यालि एक चांदी को तार सी दिखे लटूल्यों मा

दियूरा चांदी को तार सी दिखे लटूल्यों मा
कल एक चांदी के तार जैसा दिखा बालों में

अभी त ह्युं पोड़ालु बौजी ह्युं पोड़ालु
अभी तो बर्फ पड़ेगी भाभी जी, बर्फ पड़ेगी

***

तरुणी उमर च यानि हैंसी न उडावा दियूर जी
बाली उमर है ऐसे हंसी मत उड़ाओ दियूर जी

अभी त ऐना हैंसालु भौजी ऐना हैंसालु
अभी तो आइना हसेगा भाभी जी आइना हंसेगा

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ऐंसु अज्जो तक बसंत किले नी ऐ होलु
इस साल अभी तक बसंत ऋतु क्यों नहीं आई होगी

अजी त मौ टूटलो फिर फागुण लागलो
अभी तो माघ महीना जायेगा फिर फाल्गुन लगेगा

***

रंग पिचकारी न मार सुखी गात मा
रंग पिचकारी मत मारो सूखे बदन पे

अभी त द्यो बर्खालो भौजी द्यो बर्खालो
अभी तो बादल बरसेंगे भाभी जी बादल बरसेंगे

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कंदुडी बयाणी छिन अणबोली बथ सुनेणि दियूर जी
कान बोल रहे हैं और अनकही बाते सुनाई दे रही हैं देवर जी

अभी त आँखि बोलली भौजी जिया सुणलु
अभी तो आंखे बोलेंगी भाभी जी और दिल सुनेगा

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आज किले जी होलु कबलाणु प्राण दियूर जी
आज मन बेचैन क्यों हो रहा होगा देवर जी

चिट्ठी नी भेजी होली भैजिन भैजी झुराणु होलु
चिट्ठी नहीं भेजी होगी भाईसाब ने , भाई का मन नहीं लगने होगा

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बिनसिरि सुपिन्योंम तुम्हारा भैजी दीखिनी दियूर जी
सुबह सबेरे सपने में तुम्हारे भाई दिखे देवर जी

सजी धजी ल्यावा भौजी भैजी छुटी आणु होलु
सज संवर के रहो भाभी जी, भाई छुट्टी में घर आ रहे होंगे


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