हमूं तैं बिकास...
Garhwali Kavita by Jagdamba Chamola---------------------------
बिकास घर न बण न क्वे, गौं अर न मौ च भुला
हमूं तैं बिकास जग्थु दिदा नौंनो नौं च भुला
ल्वखुन खै बजैन प्योट, भितुरु धौर्या मैनु तकौ
द्वी दांणि लैंचि छ्वोड़ा चौंणा तक नि ह्वेन यखौ
यख त जथ्या नेता ऐन सभि चंट चाड़ा ऐन
सुलारु से भी लम्बा जौंका घुन्डों तका नाड़ा रैन
नमन कन राखु बणै, पर हाथ तक नि झाड़ि तौंन
ततुनु मुल्क खायी पर, डकार तक नि गाड़ि तौंन
यथ्या मा भि चित्त नि भर्यणि, फिर भी अजौं हौं च भुला
हमूं तैं बिकास.....
ल्वखों तैं त मेवा मिश्रि हलवा गैन पूड़ि तखि
हमूं तैं त यनि ह्वै, न मथि ह्वै न मूड़ि कखि
वोर प्वोर अगल बगल बाड़ि ह्वै न कूड़ि पक्कि
हमूं तैं सिमंट ह्वै न बजरि ह्वै न रुड़ि कखि
दिख्यण मा यतनि धर्ति, खालि पड़ीं छूड़ि तत्ति
पर मैंगु ह्वैगि मुल्क यौ कतरि तक नि जूड़ि कखि
हम खालि छिन पड़यां, न अपुडु मुल्क गौं च भुला
हमूं तैं बिकास.....
संग्ति बेरोजगारी कखि काम नींच धाणिं नीं च
तारु परौ बिजलि नींच नळखु परौ पाणिं नींच
बोट ल्हीक चल्यां कैका राजा नींच राणिं नींच
पशु से भी प्वोर हमारि गिणति नीं च गांणि नीं च
छटपटांण ब्वन्न भट्ये कैकि गल्कातांणि नीं च
सार कंठ सूख्यां हमूं, बुंद पौळि पांणि नीं च
पर यथ्या मा भी तौं दगड़ि फिर भी हमारि हौं च भुला
हमूं तैं बिकास जग्थु.....
स्वे बिकास जैकु भूखु प्योट धर्यूं हाथ पर
मांग्या सुलार टाला छिन लगयां गात पर
सुर्ता तक नि धौरी जैल कभि लैंचि चौंणु पर
दांत औंण से भी पैलि फटिन ब्यंवारि गौंणु पर
तै दगड़ि त जुल्म या बात यथ्या खास ह्वै
सु प्यौट पर छौ अर बाबु स्वर्गबास ह्वै
अब त स्वे बिकास मन्खि नीं च एक छौं च भुला
हमूं तैं बिकास.....
जन्म बटिन जैकु रै नसीब खालि रोण मा
बाळुपन बितायी जैल ग्वोरु दगड़ि बौण मा
पीठि लगिन ढमणा जैका भारा सौ सरान मा
छत्ति पर लफरा लगिन डाळुं डाळुं जांण मा
न पूस भर सगैं न ज्यौठ रूड़ि क्वे पछांणि तैल
अपड़ा प्यौट भना बाना ततुनु बौंण छांणि तैल
पर कैल भी नि पूछि जबकि हमरु ततुनु गौं च भुला
हमूं तैं बिकास.....
तुम्हारा यौ बिकास चाहे ह्वोण लग्यूं च्वोण लग्यूं
हमारा यौ बिकास अब चिरान पर च बौंण लग्यूं
कभि लगद माटा पर सु कभि ढ्वय्या ढुंगा पर
प्यौट भनौ चड़्यूं रौन्द संग्ति डाळ्वा फुंगा पर
जु भी कन हौरू कन अफू तैं क्या कन तैल
जब हक्कौ पाणिं भन्न तब अपणुं पांणि भन तैल
तैकि सदानि अपुड़ा खौळा रौंदि हक्कै दौं च भुला
हमूं तैं बिकास.....
तौंकु ह्वै बिकास द्यौखा सिं हमसे कथ्या दूर छिन
छै लाख रुप्योंका जौंका ड्येळ्यों मा कुकुर छिन
हमारि तुम्हरि चार नीं सिं अफु मा सरकार छिन
क्वैठि बंगला बैंक तौंकि लम्बा नाक्वी कार छिन
सि कैका सुख दुख मा न कैकि ओड आंच मा
कौड़ि भर औख्यात तौंकि बंद काळा कांच मा
मुख नजर लगौंण तौंकि हमूं तैं त छौं च भुला
हमूं तैं बिकास.....
सुर्ता भी क्या धन्नि तैल रौण किलै सास पर
जब नेत्वी कभि नजर तक नि पड़ि ये बिकास पर
कि येका नौं पर त सच्चि, कत्ति रुप्या खैन तौंन
बिकास भट्ये भट्ये तख तत्ति कुर्सि पैन तौंन
मंत्रि बणीं धौरि नजर तौंन खास खास पर
पर छिंटु तक नि मारि ये बिकासा बिकास पर
पर क्य ह्वै तब चुनो बोट अजूं हक्कि दौं च भुला
हमूं तै बिकास.....
या ह्वै राजनीति देखा कत्ति चाल खीनी तौंन
जैल हम पछांड़्यां तै टिकटै नि दीनि तौंन
जु हक्कान कन्न छौ सु करि काम अपड़ा आप तौंन
बिरोध कन वाळों करि पल्ये पत्ता साफ तौंन
गुप्प चुप्प भितरा भितरि अपड़ुं अपुड़ुं सांटि तौंन बिधान सभौ टिकट सर्या भितरा भितरि बांटि तौंन
पर वक्त पर बतौला अभि त, यौंकी दौं फौं च भुला
हमूं तैं विकास.....
न रीति क्वै न नीति अपुड़ि खिड़कि खुला रौखि तौंन
कै ठ्यल्ला सिमंट सुद्दि गदरु गदरु खौति तौंन
मतलबी मस्ट्रौल ख्येलि अल्ट सल्ट चाल तौंन
रूळ राळ खैंचि बणै मतलबी दिवाल तौंन
खांण्या ह्वै कुखाण्यां यख त सभि धांणि खैन तौंन
ततना ततना पुळ यख सुद्दि नि डुबैन तौंन
या राम कानी संग्ति हमारि क्षत्रग्यों च भुला
हमूं तैं विकास.....
काम धांण सौ सग्वोर सैरु सट्टा बट्टा सीखी
हौळ अर हिटणं म्येल्यो तैल कट्ठा कट्ठा सीखि
घौर बौण चार सार गोळ्दु घट्टा बट्टा सीखी
द्वोण खार नाज दगड़ि पाथु माणिं ल्वठ्या सीखी
भला दड़्यो हाथ ज्वड़ै बुरा दड़्यो लठ्ठा सीखी
रचनाकार: जगदम्बा चमोला
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